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संविधान दिवस: न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं, न्यायिककर्मियों ने संविधान की शपथ ली

घरघोड़ा :
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर (सालसा) के प्राप्त निर्देशन पर बुधवार को शहाबुद्दीन कुरैशी विशेष न्यायाधीश FTSC पॉक्सो/अध्यक्ष तालुका विधिक सेवा समिति घरघोड़ा एवं अभिषेक शर्मा जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता और दामोदर प्रसाद चंद्रा न्यायधीश,सुश्री प्रति झा न्यायाधीश, कैलाश गुप्ता अध्यक्ष अधिवक्ता संघ के उपस्थिति में 76 वीं संविधान दिवस के अवसर पर जिला एवं अपर सत्र न्यायालय घरघोड़ा, के द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
अधिवक्ता कक्ष में कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। संघ के वरिष्ठ अधिवक्ता शंखदेव मिश्रा और अधिवक्ता गंगाधर लहरें ने संविधान के मजबूती पर प्रकाश डाले।
इस दौरान न्यायिक अधिकारी ,न्यायालय कर्मियों, बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को संविधान की प्रस्तावना को पढ़ाया गया एवं संविधान दिवस के महत्व पर व्यापक विमर्श किया गया।

आयोजित कार्यक्रम में विशेष न्यायधीश/अध्यक्ष श्री शहाबुद्दीन कुरैशी जी ने सभी को संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारतीय संविधान विश्व का सबसे बडा लिखित संविधान है और इसकी प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ में देश के नागरिकों की आत्मा बसती है। देश में संविधान की पवित्रता और कानून का शासन बनाए रखने के लिए बार की भूमिका बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए कानूनी सहायता देने में भी बार की अहम भूमिका है।संविधान अधिवक्ताओं के लिये गीता और कुरान की तरह पवित्र है. संविधान के द्वारा ही नागरिकों को अनेक अवसर और मौलिक अधिकार प्राप्त है।न्यायाधीश अभिषेक शर्मा जी ने कहा कि ‘जब हम इस अहम पल का जश्न मना रहे हैं, जब भारत ने अपने आप को अपना बुनियादी अनुबंध दिया था, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि देश में कानून का शासन और संविधान की पवित्रता बनाए रखने में बार की भूमिका बेहद जरूरी है।

न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि ‘मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि अगर अदालतों को संविधान का पहरेदार माना जाता है, तो बार के सदस्य हमारे रास्ते को रोशन करने वाले पथप्रदर्शक हैं। वे हमें अपने गंभीर कर्तव्यों को पूरा करने और हमारे कर्तव्यों को पक्के यकीन के साथ निभाने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘वह अक्सर न्याय व्यवस्था के अदृश्य पीड़ितों के बारे में बात करते हैं और मेरा मानना है कि सिर्फ बार ही उन्हें इस पीड़ा से बचा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘सांविधानिक मामलों में हमारी मदद करने के अलावा यह भी उतना जरूरी है कि बार हमारे संविधान की मूल भावना को सामने लाने के लिए भी सही कदम उठाए। इसमें उन लोगों को कानूनी मदद देना शामिल है। जो कमजोर हैं या समाज के हाशिये पर जी रहे हैं। आगामी नेशनल लोक अदालत 13 दिसम्बर के बारे में भी चर्चाएं किया गया।
कार्यक्रम का मंच संचालन सचिव फणींद्र पंडा ने और कार्यक्रम में अधिवक्ता सुनील सिंह ठाकुर ने आभार प्रदर्शन किए।कार्यक्रम में सभी ने संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा रख कर समाज हित में कार्य करने का संकल्प लिए।

Pingal Baghel

मेरा नाम Pingal Baghel है, मैं IND36 NEWS का संपादक और संस्थापक हूँ!

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