स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा में वार्ड ब्वॉय/आया भर्ती में धांधली का आरोप, अभ्यर्थी विकास खूँटे ने जताया विरोध

स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा में अस्थायी वार्ड ब्वॉय और वार्ड आया के पदों पर हुई भर्ती प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में अभ्यर्थी विकास खूँटे ने चयन प्रबंधन समिति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता का अभाव रहा है और योग्य अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं किया गया है।
विकास खूँटे ने मीडिया से बातचीत में बताया कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल कोरबा में वार्ड ब्वॉय/आया के पदों हेतु वैकेंसी निकाली गई थी। उन्होंने दिव्यांग कोटे के अंतर्गत आवेदन किया था, जिसमें पात्र सूची में उनका नाम सरल क्रमांक 900 में अंकित किया गया है। इस सूची के अनुसार वे इंटरव्यू के लिए योग्य थे।

विकास खूँटे का आरोप है कि चयन प्रक्रिया में तय नियमों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पहले कहा गया था कि सभी पात्र अभ्यर्थियों का साक्षात्कार (इंटरव्यू) लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बिना किसी सूचना के और बिना इंटरव्यू लिए सीधे चयन समिति द्वारा अंतिम चयन सूची (फाइनल लिस्ट) जारी कर दी गई, जो कि नियमों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रक्रिया न केवल तानाशाही को दर्शाती है, बल्कि इससे योग्य और मेहनती अभ्यर्थियों का हक भी मारा गया है। विकास ने यह भी आरोप लगाया कि समिति ने अपने मनमर्जी से उम्मीदवारों का चयन किया, जिससे यह आशंका उत्पन्न होती है कि पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और पक्षपात की भूमिका रही है।
विकास खूँटे ने आगे बताया कि उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ प्रशासन से गुहार लगाने की ठानी है। उन्होंने जिला कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे न्यायालय की शरण लेंगे और जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

इस मामले को लेकर कोरबा जिले के अन्य अभ्यर्थी भी आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे चयन प्रक्रिया का अपमान है। कुछ अभ्यर्थियों ने यह भी कहा कि यदि इस तरह से मनमानी चलती रही तो योग्य उम्मीदवारों का मनोबल टूट जाएगा और वे आगे किसी सरकारी प्रक्रिया में विश्वास नहीं कर पाएंगे।
स्थानीय समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की मांग की है। उनका कहना है कि जब भी सरकारी भर्ती होती है, तब उसमें पारदर्शिता और न्याय की उम्मीद की जाती है। अगर चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ी हो जाए, तो आम जनता का विश्वास सरकारी तंत्र से उठ जाएगा।
चयन प्रबंधन समिति की ओर से फिलहाल कोई बयान सामने नहीं आया है। न ही स्वास्थ्य विभाग या मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में कोई सफाई दी है।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या जांच करवा कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
विकास खूँटे और अन्य अभ्यर्थियों की मांग है कि चयन प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच हो और जब तक निष्पक्ष जांच पूरी न हो, तब तक फाइनल चयन सूची को निरस्त किया जाए।
यह मामला केवल एक भर्ती प्रक्रिया नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है। अगर समय रहते प्रशासन ने इस पर संज्ञान नहीं लिया, तो यह युवाओं के बीच एक बड़े असंतोष का कारण बन सकता है।